मानव मन का स्वप्नों के साथ गहरा संबंध है निद्रा की अवस्था में भी मस्तिष्क सक्रिय रहता है। अवचेतन मन की इच्छाएँ, दिन प्रतिदिन के तनाव एवं चिन्ताएं स्वप्न के रूप में दिखाई देती हैं। मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि कभी-कभी स्वप्न भविष्य में होने वाली घटनाओं का भी संकेत देते हैं। स्वप्नों से भविष्य संकेत की पुष्टि कई प्राचीन ग्रंथों द्वारा होती है।
मानव मस्तिष्क अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के प्रयत्नों में आदि काल से ही सक्रिय है। परंतु जब किसी कारण इसकी कुछ अधूरी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती जो कि मस्तिष्क के किसी कोने में जाग्रत अवस्था में रहती है तो वह स्वप्न का रूप ले लती हैं। आधुनिक विज्ञान में इस विषय में कहा है कि स्वप्न'' मानव की दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन करते हैं जिनको हमने अपनी जाग्रत अवस्था में कभी-कभी विचारा होता है। अर्थात स्वप्न हमारी वो इच्छाएं हैं जो किसी भी प्रकार के भय से जाग्रत् अवस्था में पूर्ण नहीं हो पाती हैं व स्वप्नों में साकार होकर हमें मानसिक संतुष्टि व तृप्ति देती है सपने या स्वप्न आते क्यों है? इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है।